Success stories

Please click on the images to see their video feedback about the project 'Free Ration Kits' to family of deceased teachers in U.P.

Late Mr Chandra Kishore Pandey

स्व. चंद्र किशोर पांडे एक शिक्षामित्र के रूप में जिला लखीमपुर खीरी के निघासन विकास खंड में पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढखेरवा खालसा में कार्यरत थे। उनके बाद उनके परिवार में दो बेटियां व एक बेटा है पत्नी कई सालों पूर्वी गुजर चुकी थी ऐसे में परिवार की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी।वह अपने बच्चों के लिए माता एवं पिता दोनों का दायित्व स्वयं ही निभा रहे थे।परंतु इस सदी की सबसे बड़ी महामारी का शिकार इनका परिवार भी हो गया। कोरोना महामारी ने इनके बच्चों के ऊपर से पिता का साया भी छीन लिया चंद्रकिशोर पांडेय जी का कोरोना के कारण स्वर्गवास हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उनके सुपुत्र श्री प्रशांत पांडे (22 वर्ष) के ऊपर आ गई ,जो अपनी पढ़ाई कर ही रहे थे ।परिवार चलाने के लिए प्रशांत के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया था। एक विद्यार्थी की उम्र में उसे भी अब न चाहते हुए भी आंटे डाल का भाव और इंतजाम पता ही करना था।उसी समय आरोही विकास संस्थान द्वारा कोरोना पीड़ित परिवारों के लिए एक वर्षीय राशन वितरण कार्यक्रम चलाया गया। प्रचार के माध्यम से शिक्षा विभाग के सभी स्तरों पर इस योजना की जानकारी पहुंचाई गई फलस्वरूप प्रशांत पांडेय जी के परिवार के बारे में जानकारी मिली हमने अविलंब पहुंचकर सभी औपचारिकताएं पूरी की तथा सहायता स्वरूप इनके परिवार को प्रतिमाह एक राशन किट (लगभग 25 किलो) प्रदान की। प्रशांत स्वयं कहते हैं कि राशन की के माध्यम से उन संघर्ष के दिनों की बुनियादी जरूरत पूरी हो गई जिससे वह अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें ।

“एक साल तक बुनियादी सहायता मिलने से प्रशांत आज परिवार को सुव्यवस्थित रूप से संभालने में सक्षम हो गए हैं तथा सभी अपने जीवन का सामान्य रूप से निर्वाह कर रहे हैं।इस तरह से आरोही विकास संस्थान अपने प्रयासों से एक पीड़ित परिवार को पुनः सामान्य जीवन में वापस लाने में सफल रहा”

Late Mr Narendra Verma

Sometimes life gives you the question paper you never prepared for. Same happened with the family of Late Narendra Verma who was an Assistant Teacher in a government Primary School. He had a happy and complete family with his wife, a daughter and a son. Both of the children were focusing on their studies, not exposed to the difficulties of world. Their father was a shell for them. But the shell broke as he passed away due to 'COVID-19' on May 11, 2021. As their mother was a house wife, elder daughter 'Nidhi Verma' had to take the responsibility, for what she was not mature enough. But, 'Aaruhi Vikas Sansthan' got to know about this stumbling family. We immediately completed the formalities and provided them 'One year Covid Ration Kits (Apex 25 Kgs)'. Also, for the studies, we helped the younger son 'Krish Verma' to get 'Covid Victim Scholarship (₹15000/per year for two years)' that helped him continue his studies.

“This small contribution from the 'Aaruhi Vikas Sansthan' made a huge impact in backing a family in the tough time, helped them deal with sudden responsibilities.”

Late Mr Mohd Shakil 

लाइबा बानो के बड़े भाई शकील अहमद सभी भाई बहनों में सबसे बड़े थे, अपने छोटे भाई व बहनों को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करते थे व उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करते थे। साथ ही अपने बुजुर्ग पिता का भी सहारा थे।सब कुछ योजना के अनुसार ही चल रहा था।परंतु कोरोना ने इनकी योजना के महत्वपूर्ण पात्र को छीन लिया। सब कुछ उजड़ गया था,परिवार की जिम्मेदारी लेने के लिए अभी कोई तैयार ही नहीं था,पढ़ाई आगे कैसे बढ़े ये तो समझ ही नहीं आ रहा था।ऐसे में इस परिवार की जानकारी आरोही विकास संस्थान के सदस्य प्रज्ञ शुक्ला को प्राप्त हुई तो उन्होंने परिवार से शीघ्र ही संपर्क स्थापित करके उनको संस्थान द्वारा एक वर्षीय कोरोना पीड़ित राशन वितरण कार्यक्रम में शामिल किया। जिससे परिवार को तात्कालिक रूप से सहायता मिल सकी व आगे बढ़ने की शक्ति भी प्राप्त हुई। हाईस्कूल में पढ़ रही लायबा बानो जो कि अब ये सोच चुकी थी कि अब पढ़ाई छोड़ कर घर ही संभालना है क्योंकि शुल्क भरने का कोई स्रोत नहीं था। ऐसे में संस्था द्वारा लैबा बानो को कोरोना पीड़ित स्कॉलरशिप प्राप्त करने में सहायता प्रदान की गई व दो साल तक ₹15000 / वर्ष प्रदान किए जिससे उसके स्वर्गीय बड़े भाई द्वारा देखे गए सपने पूरा करने का एक और मौका मिल सका । 

"इस तरह आरोही विकास संस्थान द्वारा इस परिवार को अपने सपनों को देखने व पूरा करने की शक्ति प्रदान करने में सफलता प्राप्त हुई"।